महबूब को अपना बनाने का वज़ीफ़ा – Mehboob Ko Apna Banane Ka Wazifa, Dua, Amal, अपने महबूब को पाना किसी भी आशिक़ के लिए जन्नत पाने जितना खुसी का पल होता है, तो फिर देर किस बात की अभी पढ़े हमारा महबूब को वापस बुलाने का वजीफा और महबूब की मोहब्बत पाने का वजीफा। इसे महबूब को राजी करने का वजीफा भी कहा जाता है.
Mehboob Ko Apna Banane Ka Wazifa
जब कोई लड़की किसी लड़के से प्यार करने लगती है तब उसकी सबसे पहली चाहत यही होती है कि उसका महबूब उसे दिलोजान से चाहे। वह उसे हमेशा खुश रखे। उसपर तमाम खुशियां न्यौछावर कद दे। वह उसके अलावा किसी और से मोहब्बत नहीं करे, अर्थात उसकी मोहब्बत एकतरफा बनकर नहीं रहे।
वैसे तो मोहब्बत किसी की उम्र नहीं देखती है, लेकिन जिंदगी में युवावस्था क एक उम्र ऐसी भी आती है, जिसमें इसकी प्रबलता काफी अधिक रहती है। एक मोहब्बत तभी कामयाब होती है जब दोनों तरफ से एक- दूसरे को मोहब्बत मिले।
महबूब को अपना बनाने का वज़ीफ़ा – Mehboob Ko Apna Banane Ka Wazifa, Dua, Amal
कई बार ऐसा होता है कि एक इंसान किसी से दिल से मोहब्बत करता है, लेकिन उसका महबूब उससे नफरत करने लगे या उसकी मोहब्बत को तरजीह नहीं दे तब उसे अपना बनाने के लिए इस्लामी वजीफा का इस्तेमाल करना चाहिए।
उस वजीफे के लिए र्कुआन-ए-पाक में कई आयतें दी गई हैं, जिसे अल्लाह ताला के नाम के साथ तहेदिल से पढ़ा जाता है। जिन बातों को अमल में लाना है वे इस प्रकार हैं-
- सबसे पहले अपने महबूब और अपनी तस्वीर साथ रखें। यदि एक तस्वीर में दोनों शख्स हो तब और भी अच्छा है। ताज वजु बनाने के बाद उसे जमीन पर बिछाए गए साफ चादर रखें।
- उसके बाद र्कुआनी आयत को 35 बार दुहराएं। इससे पहलं 11 बार दारूदे शरीफ भी पढ़ लें।
- एक सफेद चाॅक से वजीफा बोलते वक्त तस्वीर के चारो ओर गोल घेरा बनाते जाएं।
- वहीं पास में रखे एक ग्लास पानी के सामने वजीफे को फिर दस बार पढ़ें।
- अंत में पानी पर दम कर उसे तस्वीर के सामने डाल दें। फिरे निशान को कपड़े से पोछते हुए सफेद बना दें।
महबूब को वापस बुलाने का वजीफा
महबूब को वापस बुलाने का वजीफा – Mehaboob Ko Wapas Bulane Ka Wazifa, Dua, Amal, मोहब्बत में मिलना-बिछड़ना लगा रहता है। यह कई रूप में हो सकता है अगर किसी इंसान का महबूब विछड़ जाए तो उसे वापस अपने बुलाने के इस्लामी वजीफा का प्रयोग करना चाहिए।
इससे महबूब और महबूबा के बीच बेशुमार मोहब्बत भी पैदा हो जाती है और दोनों मिले बगैर रह नहीं पाते हैं। महबूब जिस हाल में होता है वह अपनी महबूबा के पास लौट आता है। उसके लिए र्कुआनी वजीफे को दिल से पूरी तव्वजो के साथ पढ़ा जाने चाहिए।
Mehaboob Ko Wapas Bulane Ka Wazifa
- कम से कम 21 दिनों तक इसे करने का सही समय नौचंदी जुमेरात को फज्र की नमाज के साथ होता है।
- इसके अव्वल और अंत में दारूदे इब्राहिम 11 बार, फिर 21 बार सुराह ताहा की आयत के नंबर 39 से 41 तक पढ़ंे। फिर महबूब की तस्सबुर करें।
- अंत मंे दारूद इब्राहिम को 11 बार पढ़ने के बाद अल्लाह ताला से अपनी मोहब्बत को पाने, महबूब के दिल में अपने प्रति पैदा करने, उसकी हिफाजत और बरकरार रखने के लिए दोनों हाथ फैलाकर दुआ करें।
- इस अमल को महबूबा के द्वारा 11 दिनों तक किया जाना चाहिए। इंशा अल्लाह की दुआ से महबूब जहां कहीं भी होगा वह वापस आ जाएगा।
- इसके लिए अपने साथ महबूब की तस्वीर रखें और मौलवी से राय-मश्वीरा लेकर पूरी शिद्दत के साथ इसे करें। हिदायत के तौर पर माहवारी के बाद इसकी शुरूआत करें।
महबूब की मोहब्बत पाने का वजीफा
महबूब की मोहब्बत पाने का वजीफा – Mehaboob Ki Mohabbat Pane Ka Wazifa, Dua, Amal, हर कोई चाहता है कि उससे कोई सच्ची मोहब्बत करे। इसे पाने के लिए उसे कई प्रयास करने होते हैं और विभिन्न अड़चनों के दौर से गुजरना होता है।
जबकि एक महबूबा कतई नहीं चाहती है कि उसके महबूब की मोहब्बत में रत्ती भर भी कमी आए। हालांकि कई बार सामाजिक और पारिवारिक परिस्थतियों की वजह से पाक-साफ मोहब्बत खो जाती है।
उसे हासिल करने के लिए इस्लामी दुआ को नीचे दिए गए तरीके से पूरी अमल के साथ पढ़ना चाहिए। इसके तरीके में जरा भी चुक नहीं होनी चाहिए। कारण छोटी से गलती भारी नुकसान का करण बनती है।
Mehaboob Ki Mohabbat Pane Ka Wazifa
इसे अमल करने का कोई भी दिन हो सकता है, लेकिन समय आधी रात का ही होना चाहिए। शुरूआत से ताजा वजु कर इशा की नमाज पढ़ लें।
उसके बाद दुरूद-ए-पाक को 22 बार पढ़ें। फिर मोहब्बत को पाने की दुआ को 501 बार पढ़ें। दुआ है-
अल्लाहुम्मा जालानी मेहबूबन फि मिलते भी हक्की या बुद्दुहू।
उसके बाद सुराह मुजंम्मिल को 36 बार पढ़कर अपने महबूब का 101 बार नाम लें।
इस अमल का अंत दुरूद-ए-पाक को फिर से 22 बार पढ़कर करें, लेकिन इससे पहले अल्लाह से दोनों हाथ फैलाकर मोहब्बत की दुआ मांगें।
इस अमल के दौरान महबूबा को पाक-साफ संबंधी सावधानी वरतनी होती है। जैसे उसे माहवारी के दौर नहीं करना चाहिए।
इसे करने की मियाद 11 और 21 दिनों की होती है। हालांकि इसका असर चार-पांच दिनों में ही दिखने लगता है। महबूब की तरफ से कोई पैगाम आने की संभावना प्रबल हो जाती है।
महबूब को राजी करने का वजीफा
महबूब को राजी करने का वजीफा – Mehaboob Ko Razi Karne Ka Wazifa, Dua, Amal, बहुत पुरानी कहावत है कि रूठे रब को मनाना आसान है, लेकिन रूठे प्यार का मनाना मुश्किल। अगर किसी का प्यार रूठ जाए तब उस स्थिति में महबूबा को धैर्य से काम लेना चाहिए। इस्लामी इबादत के साथ-साथ र्कुआन-ए-पाक में दिए गए आयत को पढ़ना चाहिए। आयत है-
वा अल कयतु अलरसकर महब्बातें मिन्ने वाली तुसान। अ’ला आयेनी इस तमश उख्तुका फतकुलु हाल अदुल लुकम अ’अला मन याक फुलुहु फर्ज ज’अका इलो उम्मीको की तकार्रा। अयनुह वाला ताहजाना वाकतलता नफसान फनाज्जायंका किना। अघम्मी वफा तन्नका फुतूनंन फला विस्टा सिनीना चार अहली मदयाना सुन्मा जिता। अला कुदररिन या मूसा वास तंना अकतुका लिंफासई।
Mehaboob Ko Razi Karne Ka Wazifa
- अमल की शुरूआत जुमेरात वाले दिन 21 मर्तबा दुरूद शरीफ पढ़कर फजिर की नमाज के बाद सुन्नह और फर्ज के बीच ऊपर दी गई आयत को पढ़ना चाहिए।
- उसके बाद एक बार फिर से 21 बार दुरूद शरीफ पढ़ लें।
- अंत में दोनों हाथ फैलाकर अल्लाह ताला से प्यार वापस पाने के लिए महबूब को राजी करने की दुआ करें। इंशा अल्लाह ऐसा नेकनीयत और पूरी शिद्दत के साथ करने पर दुआ निश्चित तौर पर कुबूल होती है।
- चंद दिनों में ही महबूब द्वारा मोहब्बत के राजीनामे की सूचना मिल सकती है। कई दफा तो वजीफा खत्म हुआ नहीं कि महबूब अपनी मोहब्बत का पैगाम भेज देता है।
- हिदायतः वजीफ के लिए पूरी जानकारी किसी मौलवी लेनी चाहिए और आयत का उच्चारण सही तलफ्फूज के साथ किया जाना चाहिए।
- दूसरी हिदायत महबूबा के सख्ती से पालन करने के सिलसिले में माहवारी के बाद शुरू करना चाहिए।
har aasiq apne mehaboob ko pana chahata hai, kyuki har asiq ke liye uska mehaboob milna kisi jannat se kam nahi hota, isliye hum aaj aapko dege Mehboob Ko Apna Banane Ka Wazifa, Dua, Amal or Mehaboob Ko Wapas Bulane Ka Wazifa, Dua, Amal. ise Mehaboob Ki Mohabbat Pane Ka Wazifa, Dua, Amal or Mehaboob Ko Razi Karne Ka Wazifa, Dua, Amal bhi kaha jata hai.